शैला
शैला उत्तर पूर्वी छत्तीसगढ़ के सरगुजा और जशपुर इलाके का सुप्रसिद्ध नृत्य है जिसे उस क्षेत्र के लगभग सभी आदिवासी और लोक समुदाय के लोग करते हैं। इस नृत्य में केवल पुरुष नर्तक ही भाग लेते हैं। इस नृत्य में नर्तक अपने सिर पर पगड़ी के ऊपर रंग बिरंगी फुँदने वाली कलगी लगाते हैं तथा उनके हाथ में लकड़ी के मोटे मोटे डंडे होते हैं। मांदर, बांसुरी और झाल के सम्मिलित ताल पर नर्तक एक दूसरे के डंडे को आपस में टकराते हुए लगभग चक्र की रचना करते हुए नृत्य करते हैं।शैला नर्तक दल आसपास के गांवों में भी घूम घूम कर नृत्य करते हैं।शैला कृषि जीवन से संबंधित नृत्य है जिसके गीतों में उल्लास के आख्यान मुखरित होते हैं।

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